बाउंडलेस (ZKC) कॉइन के लिए 'माइंड शेयर' या बाज़ार में मजबूत पकड़ बनाने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र में कई अन्य परियोजनाओं के कारण इसकी राह मुश्किल है। बाउंडलेस एक नया प्रोजेक्ट है जो जीरो-नॉलेज (ZK) तकनीक का उपयोग करके सभी ब्लॉकचेन को स्केलेबिलिटी और प्राइवेसी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। हालांकि, भारतीय और वैश्विक क्रिप्टो बाजार में माइंड शेयर हासिल करना ZKC के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह एक उभरती हुई तकनीक और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार में काम कर रहा है।
बाउंडलेस (ZKC) कॉइन के लिए 'माइंड शेयर' की स्थिति
ZKC का उद्देश्य: बाउंडलेस का लक्ष्य सभी ब्लॉकचेन को ZK प्रूफ की शक्ति प्रदान करना है, जिससे तेज और सस्ते लेनदेन हो सकें। ZKC टोकन का उपयोग प्रूवर के लिए संपार्श्विक (collateral), पुरस्कार और प्रोटोकॉल के संचालन में होता है।
प्रतियोगिता से चुनौती: ZKC को इस प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कई अन्य बड़ी ZK-आधारित परियोजनाओं से मुकाबला करना पड़ रहा है, जैसे:
ZKsync (ZK): एक मजबूत प्रतिस्पर्धी है जो पहले से ही भारतीय बाजार में उपलब्ध है। ZKsync का भारतीय रुपये (INR) में व्यापार होता है और CoinSwitch जैसे एक्सचेंज पर उपलब्ध है।
Starknet (STRK) और Scroll: ये भी EVM-संगत ZK रोलअप समाधान प्रदान करते हैं जो बाउंडलेस के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा रहे हैं।
अन्य ZK प्रोजेक्ट्स: Mina Protocol, Aleo और Horizen जैसी कई अन्य ZK-आधारित क्रिप्टोकरेंसी भी बाजार में मौजूद हैं।
बाउंडलेस (ZKC) के 'माइंड शेयर' बढ़ाने के लिए कुछ कारक
तकनीकी विशेषता: बाउंडलेस की 'प्रूफ ऑफ़ वेरीफिएबल वर्क (PoVW)' जैसी अनूठी तकनीक और ZKC को संपार्श्विक के रूप में उपयोग करने का मॉडल इसे अन्य ZK प्रोजेक्ट्स से अलग करता है।
बाज़ार की स्थिति: भारतीय क्रिप्टो बाज़ार में अभी भी छोटे और नए प्रोजेक्ट्स के लिए जगह है, खासकर जब ZK जैसी नई तकनीकों की बात हो। भारत में क्रिप्टो को लेकर जागरूकता और दिलचस्पी बढ़ रही है।
ट्रेडिंग और तरलता: ZKC कोCoinGecko, Binance और Mudrex जैसे एक्सचेंजों पर INR में व्यापार किया जा सकता है, जो भारतीय निवेशकों के लिए इसे अधिक सुलभ बनाता है।
निष्कर्ष
बाउंडलेस (ZKC) अभी क्रिप्टो बाज़ार में अपनी जगह बनाने की शुरुआत ही कर रहा है। हालांकि, भारतीय और वैश्विक बाज़ार में इसका 'माइंड शेयर' अभी भी सीमित है और इसे अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए काफी काम करने की आवश्यकता है। इसकी सफलता काफी हद तक इसकी तकनीकी विशेषताओं, प्रतिस्पर्धियों से मुकाबले और भारतीय निवेशकों की बढ़ती जागरूकता पर निर्भर करेगी।
नए और छोटे क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले गहन शोध करना महत्वपूर्ण है।